जी-7, जिसे ग्रुप ऑफ सेवन के नाम से भी जाना जाता है, दुनिया की सात सबसे बड़ी उन्नत अर्थव्यवस्थाओं का एक अंतरराष्ट्रीय समूह है। इसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं।

यह समूह 1975 में स्थापित हुआ था, और तब से वैश्विक अर्थव्यवस्था और शासन के प्रमुख मुद्दों पर चर्चा और सहयोग के लिए एक महत्वपूर्ण मंच रहा है।

जी-7 के सदस्य देशों की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) दुनिया की कुल जीडीपी का 60% से अधिक का प्रतिनिधित्व करते हैं, और वे वैश्विक व्यापार और निवेश का एक बड़ा हिस्सा रखते हैं।

क्या जी-7 यूक्रेन और ग़ज़ा में युद्ध रोक सकता है?

यह कहना मुश्किल है कि जी-7 यूक्रेन और ग़ज़ा में युद्ध को रोकने में सीधे तौर पर कितनी भूमिका निभा सकता है।

  • जी-7 ने दोनों संघर्षों की निंदा की है और रूस और इज़राइल पर दबाव डाला है कि वे युद्ध विराम करें और कूटनीति के माध्यम से समाधान खोजें।
  • समूह ने मानवीय सहायता भी प्रदान की है और शरणार्थियों को सहायता प्रदान करने के लिए काम किया है।

हालांकि, जी-7 के पास संघर्षों को समाप्त करने की सीमित शक्ति है।

  • रूस और इज़राइल दोनों ही शक्तिशाली देश हैं जो अंतरराष्ट्रीय दबाव के प्रति प्रतिरोधी रहे हैं।
  • जी-7 के सदस्य देशों के बीच कभी-कभी मतभेद होते हैं, जो प्रभावी कार्रवाई को कमजोर कर सकते हैं।

अंततः, यूक्रेन और ग़ज़ा में शांति रूस और इज़राइल की सरकारों द्वारा की जाने वाली राजनीतिक इच्छाशक्ति पर निर्भर करेगी।

जी-7 और अन्य अंतरराष्ट्रीय समुदाय एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, लेकिन वे अकेले युद्ध को समाप्त नहीं कर सकते।

**यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जी-7 ने 2024 के जून में जर्मनी में हुई अपनी हालिया बैठक में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की निंदा की और वैश्विक खाद्य सुरक्षा में व्यवधान के लिए रूस को जिम्मेदार ठहराया।

समूह ने यूक्रेन को वित्तीय सहायता प्रदान करने और रूस पर अतिरिक्त प्रतिबंध लगाने की भी प्रतिबद्धता जताई।

ग़ज़ा के संघर्ष पर जी-7 ने कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है।

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