आमों का मौसम आते ही बाज़ारों में रंग-बिरंगे, सुगंधित आमों की भरमार हो जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन आमों में से कुछ नकली भी हो सकते हैं? जी हाँ, नकली आम! ये आम दिखने में तो हूबहू असली आमों जैसे लगते हैं, लेकिन इनका स्वाद और सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं।
नकली आम कैसे बनते हैं?
नकली आम बनाने के लिए कुछ दुकानदार कैल्शियम कार्बाइड (CaC2) नामक रसायन का इस्तेमाल करते हैं। इस रसायन को पानी में घोलकर कच्चे आमों को उसमें डुबोया जाता है। कुछ घंटों में ही ये आम पीले पक जाने लगते हैं।
नकली आमों की पहचान कैसे करें?
- रंग: नकली आमों का रंग असली आमों की तुलना में ज़्यादा चमकीला और एकसार होता है।
- गंध: नकली आमों में आम की खुशबू कम होती है।
- स्वाद: नकली आमों का स्वाद फीका और कृत्रिम होता है।
- स्पर्श: नकली आम असली आमों की तुलना में ज़्यादा नरम होते हैं।
- डंठल: नकली आमों के डंठल जल्दी सूख जाते हैं।
नकली आम खाने से क्या नुकसान हो सकते हैं?
नकली आमों में मौजूद कैल्शियम कार्बाइड सेहत के लिए बहुत हानिकारक होता है। इसके सेवन से पेट दर्द, उल्टी, दस्त, सांस लेने में तकलीफ और यहां तक कि कैंसर भी हो सकता है।
क्या करें?
- सावधानी बरतें: हमेशा विश्वसनीय दुकानों से ही आम खरीदें।
- देखें-भालें: आम खरीदते समय उनका रंग, गंध, स्वाद, स्पर्श और डंठल ज़रूर देखें।
- संदेह हो तो न खरीदें: यदि आपको किसी आम पर संदेह हो, तो उसे न खरीदें।
- जागरूकता फैलाएं: अपने परिवार और दोस्तों को नकली आमों के खतरों के बारे में बताएं।
नकली आमों का मुद्दा गंभीर है। हमें न केवल अपनी सेहत के लिए, बल्कि किसानों की मेहनत और देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी इन नकली आमों का बहिष्कार करना चाहिए।
यह भी ध्यान रखें:
- नकली आमों का इस्तेमाल अचार बनाने में भी किया जाता है।
- सरकार नकली आमों की बिक्री पर रोक लगाने के लिए प्रयास कर रही है, लेकिन अभी भी यह अवैध रूप से बिकते हैं।
- आप नकली आमों की शिकायत खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) में कर सकते हैं।