मानसून के फायदे ज़रूर हैं, पर नुकसान भी कम नहीं:

मानसून, भारत के लिए जीवन रेखा है। यह सूखे की धरती को हरा-भरा बना देता है और कृषि के लिए ज़रूरी पानी मुहैया कराता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मानसून के कुछ नुकसान भी हैं? आइए, आज हम उन पर नज़र डालते हैं।

बाढ़ और जलभराव (Baadh aur Jalbhav)

तेज़ बारिश की वजह से नदियाँ उफान पर आ जाती हैं, जिससे बाढ़ आ जाती है। इससे खेत खलिहान, सड़कें, घर – सब कुछ जलमग्न हो जाता है। फसलें बर्बाद हो जाती हैं और लोगों का भारी नुकसान होता है। निचले इलाकों में तो हर साल जलभराव की समस्या आम हो गई है।

भूस्खलन और सड़कें धंसना (Bhooskhan aur Sadken Dhansna)

पहाड़ी इलाकों में ज़्यादा बारिश की वजह से भूस्खलन हो जाते हैं। इससे सड़कें टूट जाती हैं, रास्ते अवरुद्ध हो जाते हैं और लोगों का आना-जाना मुश्क利 से होता है। कई बार तो भूस्खलन से जान-माल का भी नुकसान होता है।

संक्रामक रोग (Sankramik Rog)

मानसून के मौसम में गंदगी और जलभराव की वजह से मच्छर, मक्खियाँ पैदा हो जाती हैं। इससे डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियाँ फैलने का खतरा बढ़ जाता है। साफ पानी की कमी भी इस मौसम में एक बड़ी समस्या होती है।

यातायात बाधित होना (Yataayat Badhit Hona)

तेज़ बारिश और बाढ़ की वजह से सड़कें और रेलवे ट्रैक खराब हो जाते हैं। इससे यातायात बाधित होता है और लोगों को आने-जाने में दिक्कत होती है।

बिजली की कटौती (Bijli Ki Katouti)

तेज़ हवाओं और बारिश की वजह से बिजली के तार टूट जाते हैं, ट्रांसफार्मर खराब हो जाते हैं। इससे बिजली की कटौती हो जाती है, जिससे लोगों की दिक्कतें बढ़ जाती हैं।

निष्कर्ष (Nishkarsh)

यह सच है कि मानसून हमारे देश के लिए बहुत ज़रूरी है। पर हमें इसके नुकसानों से भी अवगत होना चाहिए। बाढ़ नियंत्रण के उपाय करने, नालों की सफाई रखने और बीमारियों से बचाव के लिए ज़रूरी कदम उठाकर हम मानसून के दुष्प्रभावों को कम कर सकते हैं।

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